Gunjan Kamal

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गिरगिट की तरह रंग बदलना




*# गिरगिट की तरह रंग बदलना* 


"कुछ  जख्म ऐसे होते हैं जिसकी पीड़ा उस व्यक्ति का दिल ही महसूस करता है जिसने इस जख्म को सहा है। मैं तो इतनी पागल हूॅं कि  मैंने भी उस व्यक्ति  पर भरोसा कर लिया था जो गिरगिट की तरह रंग बदलने में माहिर है और  उसने भी एक झटके में ही मेरे भरोसे को   तोड़ दिया वों भी  बिना यह सोचे - समझे कि मुझ पर क्या गुजरेगी? "   बिस्तर पर लेटे सोचते हुए साधना की ऑंखो से अश्रुओं की धार बह निकली। 

साधना बीते दिनों के बारे में सोच ही रही थी कि तभी  कमरे की तरफ आती जानी - पहचानी पदचाप की ध्वनि सुनकर उसने अपने आंसुओं को हाथों से ही पोंछना शुरु कर दिया। 

"यह लो दवा और इसे अभी खा लो। आधे घंटे के अंदर ही तुम्हारे  कमर में हो रहा दर्द इस दवा के असर से   खत्म हो जाएगा।"  साधना के पति संजय ने उसकी तरफ दवा बढ़ाते  हुए कहा। 

"पिछले तीन साल से जो मैं दर्द सह रही हूॅं उस दर्द का क्या? इस दवा से तो मेरे शरीर का दर्द खत्म हो जाएगा   लेकिन पिछले तीन साल से जो मैं दर्द सह रही हूॅं उस दर्द की पीड़ा असहनीय हो रही है मेरे लिए। उस पीड़ा के लिए भी मुझे कोई दवा ला कर दीजिए क्योंकि अब मेरा मन उस पीड़ा को सह नहीं पा रहा है।"  साधना ने रोते हुए अपने पति से कहा। 

"तुम मेरी पीड़ा क्यों नहीं समझती? क्यों नहीं समझती कि मैं तुम्हारे बच्चे को वों हक नहीं दे सकता जिस हक का हकदार बनकर वह इस घर में आएगा या आएगी।" मन में सोचते हुए संजय ने एक नजर साधना पर डाली। 

"मुझे मालूम है आप अभी भी अपनी पहली पत्नी को भूले नहीं है और तो और आप नहीं चाहते कि आपके बेटे देव को कोई सौतेला भाई या बहन हो। आपको यह भी डर है कि मेरा खुद का बच्चा होने के बाद मैं  देव को वह प्यार नहीं दूंगी जो अभी देती हूॅं। कितनी बार आपसे कहूं कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा जो आप सोच रहे है। जब आपको मेरे साथ की जरूरत होती है तो आप गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए अपने शरीर की जरूरत को पूरा करने मेरे पास आ जाते है जिसके कारण  पिछले तीन सालों में मेरा तीन बार गर्भपात भी हो चुका है। आपने एक बार भी मेरे बारे में नहीं सोचा। आपने यह भी नहीं सोचा कि एक औरत तभी पूर्ण होती हैं जब उसकी कोख हरी होती है, वह माॅं बनती है। ईश्वर भी चाहते है कि मैं माॅं बनूं लेकिन मेरी बदकिस्मती यह है कि मेरा स्वयं का पति ही नही चाहता कि मैं माॅं बनूं। खुद तो पिता बनने का सुख प्राप्त कर चुके हो आप। कृपा कर मुझे माॅं बनने के सुख से वंचित ना करो। गर्भपात करवाने से पहले यें शब्द मैंने कितनी ही बार आपसे कहा लेकिन आपने मेरी एक ना सुनी। आपका मेरे प्रति प्यार देखकर मेरे मन में उम्मीद जगती कि इस बार बच्चे आने की खुशी सुनकर आपका दिल पिघल जाएगा लेकिन मेरी उम्मीद आखिरकार टूट ही जाती। उस दिन मेरी टूटती उम्मीद को अपने शब्दों का तिनका देकर आपने मुझे फिर से माॅं बनने का सुख दिया। मैं खुश थी लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि वह तिनका तो इतना कमजोर था कि शराब के नशे के साथ आया था और उसके साथ ही वापस भी चला गया। आपको तो याद भी नहीं कि आपने मुझे क्या कहा था? उस दिन आप नहीं आपका शराब बोल रहा था। " कहते हुए साधना सुबकने लगी।

साधना को रोते हुए देखकर संजय का दिल भी रो रहा था लेकिन उसने अपने मन को कड़ा किया और साधना की तरफ गुस्से में देखते हुए कहा :-"तुम जब जानती हो कि मैं नहीं चाहता कि देव को सौतेला भाई या बहन हो फिर क्यों इस बात को लेकर हर बार विवाद करती हो। सबकुछ तो है तुम्हारे पास। किसी चीज की कमी नहीं है तुम्हें। अच्छा खाती हो, अच्छा पहनती हो यहां तक कि इस घर में सबकुछ तुम्हारी मर्जी से ही होती है। अब तो देव भी तुम्हें माॅं कहता है। एक माॅं होकर भी तुम्हें फिर से तुम्हें माॅं बनना है यह बात मेरी समझ से परे है इसलिए मैं कुछ नहीं समझना चाहता। तुम दवा खा लो जल्दी ठीक हो जाओगी और वैसे भी तुम्हारे गर्भनिरोधक गोलियां नहीं खाने का यह नतीजा है जो तुम भुगत रही हो। इसमें मेरी कोई गलती नहीं है।" कहते हुए संजय उठा और कमरे से बाहर निकल गया। 


बिस्तर पर लेटे हुए साधना अपने तन की पीड़ा से तो टूट ही रही थी  उससे अधिक मन की पीड़ा से टूटकर वह बिखर रही थी। संजय द्वारा अभी कहें गए शब्द उसे असीम पीड़ा का एहसास करा रहे थे। क्या करती कहां जाती? एक बार तो मन हुआ कि इस घर को ही छोड़ दें लेकिन कहाॅं जाती? उसके माता - पिता और भाई-बहन भी तो संजय के पैसों पर ही पल रहे थे।

एक पत्नी की एक कमजोरी यह भी होती है कि वह अपने पति की गिरगिट की तरह बदलते रंग को देखकर भी उसका साथ इसलिए देती है कि शायद! किसी दिन उसके पति  को अपनी गलती का एहसास हो और वह वों सबकुछ भूलकर उसकी सुन लें। 

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                                         धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻

गुॅंजन कमल 💓💞💗


# मुहावरों की दुनिया



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5 Comments

Mahendra Bhatt

19-Feb-2023 09:03 PM

बहुत खूब

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शानदार

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अदिति झा

17-Feb-2023 10:38 AM

Nice 👍🏼

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